22-23 जुलाई को पृथ्वी के बेहद करीब होगा दुर्लभ धूमकेतू ‘Comet NEOWISE’, अगली बार 6400 साल बाद दिखेगा, जानिये इसके बारे में सब कुछ
इन दिनों आसमान में एक दुर्लभ धूमकेतु दिखाई दे रहा है जो सभी के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह दुर्लभ धूमकेतु 4500 सालों में पहली बार सूर्य के निकट आ रहा है। नीली और हरी रोशनी वाले इस धूमकेतु को बीती 27 मार्च को खोजा गया था। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने इसे NEOWISE नाम दिया है।कॉमेट नियोवाइस (Comet Neowise या C/20202 F3) 14 जुलाई से सौर्यमंडल में अपनी जगह बनाए हुए है और भारतीय भी अपनी आंखों से उसे आसानी से देख सकते हैं। इसके लिए उन्हें अलग से कोई चश्मा या टेलीस्कोप लेने की भी कोई जरूरत नहीं है।
नीली और हरी रोशनी वाले इस धूमकेतु को बीती 27 मार्च को खोजा गया था। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने इसे NEOWISE नाम दिया है। यह कितना दुर्लभ है, इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब यह साढ़े छह हजार साल बाद नज़र आएगा। यानी वर्तमान में जीवित लोगों की हजारों पीढि़यां बीत जाएंगी तब यह दिखाई देगा।
3 जुलाई को यह सूर्य का चक्कर लगाकर सीधा पृथ्वी की ओर चला आ रहा है। 22 और 23 जुलाई को यह पृथ्वी के सबसे करीब होगा। हालांकि अंतरिक्ष की भाषा में करीब भी बहुत दूर होता है। 23 जुलाई को इसकी धरती से दूरी 200 मिलियन किमी की रह जाएगी। यानी 20 करोड़ किलोमीटर। यह पृथ्वी और चांद की दूरी का सैकड़ों गुना अधिक फासला है। चांद हमसे 3 लाख किमी दूर है।
वर्तमान में यह अभी पृथ्वी से यह करीब 132 मिलियन किमी की दूरी पर है। जब यह पृथ्वी के करीब से गुजरेगा तब इसकी चमक उतनी नहीं रह जाएगी जो अभी नज़र आ रही है। यह थोड़ी कम हो जाएगी। जैसे-जैसे यह सूर्य से दूर होगा, इसकी लंबी पूंछ भी छोटे आकार की नज़र आने लगेगी।
धूमकेतु को पुच्छल तारा भी कहा जाता है। इनकी पूंछ धूल, बर्फ, चट्टान आदि का जोड़ होता है जो सूर्य की रोशनी के संपर्क में आकर चमक उठता है। 20 जुलाई तक यह बुध ग्रह की कक्षा में दाखिल हो चुका था। गत 3 जुलाई को सूर्य के सबसे निकट था। इसका सिस्टम यह है कि हमारे सौर मंडल की भीतरी कक्षाओं को पूरा करने में इसे पूरे साढ़े चार हजार साल लग जाते हैं, यह स्थिति भी तब है जब इसकी रफ्तार 40 मील प्रति सेकंड है। बाहरी कक्षाओं को पार करने में इसे पूरे साढ़े छह हजार साल लग जाएंगे।