बिहार में विद्यापीठ की नींव चम्पारण सत्याग्रह के दौरान रखी गई थी। महात्मा गांधी, राजेंद्र प्रसाद, मजहरूल हक़ जैसे महापुरुषों ने इस संस्थान को स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
एक बार फिर अपने गौरव को दोहराने के लिए विद्यापीठ तैयार है। बिहार विद्यापीठ में कुछ दिनों पहले हिन् एक समारोह के दौरान डीएलएड (Diploma in Elementary Education (D.El.Ed.) के पाठ्यक्रम की शुरुआत की गयी। विद्यापीठ परिसर में आयोजित इस समारोह में संस्थान के प्राचार्य और बिहार विद्यापीठ के अधिकारीगण मौजूद थे। विद्यापीठ के अध्यक्ष विजय प्रकाश सिंगापुर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े थे। कार्यक्रम का संचालन कार्तिकेय कुषाण ने अपने बेहतरीन अंदाज़ में किया।
गौरतलब है कि राजधानी पटना में बिहार विद्यापीठ की स्थापना 1921 में महात्मा गांधी ने की थी। इसके लिए महात्मा गांधी ने झरिया के गुजराती व्यवसायी से चंदा लिया और दो महिलाओं ने अपना सारा गहना दे दिया था। वहां से चंदा का 66 हजार रुपये लेकर पटना आये थे। तब 6 फरवरी 1921 को स्वतंत्रता सेनानी ब्रजकिशोर प्रसाद , मौलाना मजहरुल हक, प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद और महात्मा गांधी ने मिलकर बिहार विद्यापीठ की स्थापना की।
बिहार विद्यापीठ की स्थापना के बाद काशी विद्यापीठ और गुजरात विद्यापीठ की स्थापना हुई। आज ये दोनों विद्यापीठ शिक्षा के मंदिर के रूप में जाने जाते हैं। एक बार फिर बिहार विद्यापीठ अपने गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेकर शिक्षा का अलख जलने निकल पड़ा है।